चैत्र नवरात्रि 2025: मुख्य तिथियाँ और पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि 2025, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण नौ दिवसीय त्योहार, 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा और उनकी नौ शक्तियों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।
मध्यप्रदेश गुजरात राजस्थान सहित भारत के हर कोने कोने में नवरात्री पर्व मनाया जाता है। खास कर चैत्रनवरात्री का एक अलग व विशेष महत्व है इसमें माता की आराधना साधना करने वाले भक्त माता को प्रसन्न करने हेतु विशेष अनुश्ठान जप करते है और सिद्धी प्राप्त करते है।
मुख्य तिथियाँ और पूजा विधि:
- 30 मार्च 2025 (रविवार): प्रथम दिवस – घटस्थापना एवं शैलपुत्री पूजा
- 31 मार्च 2025 (सोमवार): द्वितीय दिवस – ब्रह्मचारिणी पूजा
- 1 अप्रैल 2025 (बुधवार): तृतीय दिवस – चंद्रघंटा पूजा
- 2 अप्रैल 2025 (बृहस्पतिवार): चतुर्थ दिवस – कूष्मांडा पूजा
- 3 अप्रैल 2025 (शुक्रवार): पंचम दिवस – स्कंदमाता पूजा
- 4 अप्रैल 2025 (शनिवार): षष्ठ दिवस – कात्यायनी पूजा
- 5 अप्रैल 2025 (रविवार): सप्तम दिवस – कालरात्रि पूजा
- 6 अप्रैल 2025 (सोमवार): अष्टम दिवस – महागौरी पूजा एवं कन्या पूजन
- 7 अप्रैल 2025 (मंगलवार): नवम दिवस – सिद्धिदात्री पूजा एवं राम नवमी
पूरे नौ दिनों में, श्रद्धालु विशेष व्रत, उपवास, पूजा और मंत्र जाप के माध्यम से देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। अष्टम और नवम तिथियों पर कन्या पूजन और राम नवमी की विशेष पूजा आयोजित की जाती है, जो भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
क्षेत्रीय उत्सव: चैत्र नवरात्रि 2025
भारत के विभिन्न हिस्सों में चैत्र नवरात्रि की विशेषता और उत्सव के तरीके में भिन्नता देखने को मिलती है।
उत्तरी भारत में इसे धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि महाराष्ट्र में इसे गुढ़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। दक्षिण भारत में, यह उगादी के रूप में मनाया जाता है, जो तेलुगू और कन्नड़ नववर्ष का प्रतीक है।
पश्चिम बंगाल में, यह दुर्गा पूजा की तैयारियों की शुरुआत का संकेत देता है। चैत्र नवरात्रि का यह पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता को प्रदर्शित करता है, जो देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2025: मुख्य तिथियाँ और पूजा विधि