'Corruption' becomes Ravana in Ratlam: रतलाम में 'भ्रष्टाचार' बना रावण: तीन बार हुआ दहन, फिर भी जिंदा रहा — जनता में आक्रोश, प्रशासन खामोश

‘Corruption’ becomes Ravana in Ratlam: रतलाम में ‘भ्रष्टाचार’ बना रावण: 3 बार हुआ दहन, फिर भी जिंदा रहा — जनता में आक्रोश, प्रशासन खामोश

रतलाम में ‘भ्रष्टाचार’ बना रावण

‘Corruption’ becomes Ravana in Ratlam: रतलाम में ‘भ्रष्टाचार’ बना रावण: 3 बार हुआ दहन, फिर भी जिंदा रहा — जनता में आक्रोश, प्रशासन खामोश

रतलाम, मध्य प्रदेश | 3 अक्टूबर 2025

इस साल रावण का पुतला नहीं जला, बल्कि भ्रष्टाचार का चेहरा सामने आया। रतलाम में विजयदशमी पर रावण दहन एक प्रतीक नहीं, एक सवाल बन गया — आखिर कितनी बार जलाना पड़ेगा इस “भ्रष्टाचार” को?

शहर के मुख्य मैदान में जब ‘रावण’ के पुतले को पहली बार आग लगाई गई, तो वह बुझ गया। दूसरी बार भी लौ धीमी पड़ी। तीसरी बार दहन के प्रयास में जब रावण फिर से अधजला रह गया, तो लोग

“मैं रावण नहीं, भ्रष्टाचार हूँ — मुझे नहीं जलाओ, अपने अंदर के भ्रष्टाचार को जलाओ।”

यह दृश्य एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि व्यवस्था पर कटाक्ष बन गया। मौके पर मौजूद हजारों लोगों में नाराजगी और असंतोष साफ देखा गया। लोग कार्यक्रम के बाद देर रात तक मैदान में जमे रहे। कई परिवार अपने घर नहीं लौटे, और कई युवा “भ्रष्टाचार हटाओ” के नारे लगाते रहे।

‘Corruption’ becomes Ravana in Ratlam: रतलाम में ‘भ्रष्टाचार’ बना रावण: 3 बार हुआ दहन, फिर भी जिंदा रहा — जनता में आक्रोश, प्रशासन खामोश

प्रशासन बना तमाशबीन

कार्यक्रम की अव्यवस्था और लगातार विफल हो रहे दहन प्रयासों के बीच प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। मंच पर बैठे अधिकारी और आयोजक एक-दूसरे की ओर देखते रहे, लेकिन जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं मिला।

स्थानीय निवासी राजेश raman ने कहा

 “रावण का तीन बार दहन होना महज इत्तेफाक नहीं। यह उस भ्रष्ट व्यवस्था का प्रतीक है जो जितनी बार जलाई जाती है, उतनी बार और मजबूत होकर लौटती है।”

जनसामान्य में सवाल: क्या यह संयोग था या संकेत?

लोगों का मानना है कि यह घटना केवल एक सांस्कृतिक आयोजन की विफलता नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के प्रति जनाक्रोश का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर “भ्रष्टाचार रूपी रावण” ट्रेंड कर रहा है और लोग इस प्रतीकात्मक विफलता को व्यवस्था की सच्चाई से जोड़ रहे हैं।

विश्लेषण: रतलाम में इस साल रावण नहीं जला — क्योंकि शायद अब केवल पुतले जलाने से कुछ नहीं होगा। जब तक व्यवस्था, राजनीति और समाज अपने अंदर के ‘रावण’ यानी भ्रष्टाचार को नहीं जलाते, तब तक हर दहन अधूरा रहेगा।

‘Corruption’ becomes Ravana in Ratlam: रतलाम में ‘भ्रष्टाचार’ बना रावण: 3 बार हुआ दहन, फिर भी जिंदा रहा — जनता में आक्रोश, प्रशासन खामोश

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