A report on which other countries India can fully bridge its trade deficit with

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एक रिपोर्ट जो बताती है कि भारत किन अन्य देशों के साथ अपने व्यापार घाटे को पूरी तरह से पाट सकता है।

A report on which other countries India can fully bridge its trade deficit with

Report by Jaikishan Wasanwal

रूस (US \$ 57.2 बिलियन डिफिसिट), कोरिया (US \$ 14.71 बिलियन), हांगकांग (US \$ 12.2 बिलियन)—इन देशों से अवश्य प्रतिस्पर्धा में कठिनाइयाँ हैं, और मौजूदा निर्भरता कम करना संक्षिप्त अवधि में आसान नहीं है ।

किन्तु हम विश्व में नया बाजार ताराशे जीससे भविश्य की नई सम्भावनाओं को बल मिले हमे एक ही बाजार या एक ही देश पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। वही छोटे मध्यम उद्यम को बढावा मिले जिससे की भविष्य में अन्य देशो पर निर्भरता को कम किया जा सके ।
यहा पर कुछ नये निर्यातक बाजार का विवरण दिया गया है जिससे हम अपने निर्यात को बढा सकते है टैरिफ के घटे को पुरा किया जा सकता है यह सब सम्भावित है

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 4. संक्षेप सारांश तालिका

| लक्ष्य देश            | मौजूदा व्यापार संतुलन           | उपयुक्त सेक्टर               | रणनीति की दिशा    |

UK    | व्यापारसकारात्मक, खासकर FTA के कारण | वस्त्र, रसायन   | निर्यात बढ़ाएं → व्यापार घाटा कम हो सकता है   |

| बेल्जियम, इटली, फ्रांस | व्यापार सकारात्मक   | वस्त्र, जूते, एसेसरीज़    | निर्यात विस्तार → घाटा घटाने में मददगार   |

बांग्लादेश    | व्यापार सकारात्मक  | वस्त्र, खेल सामग्री   | निर्यात बढ़ाने पर व्यापार संतुलन सुधर सकता है |

| चीन, रूस, कोरिया       | व्यापार महत्वपूर्ण डिफिसिट | रासायन, वस्त्र, तकनीकी सामान | चुनौतीपूर्ण—उच्च प्रतिस्पर्धा है |

5. सिफारिशें कैसे आगे बढ़ें?

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1.UK पर फोकस:

 वस्त्र और रसायन क्षेत्र में UK के साथ FTA का पूरा लाभ उठाएं।

2. यूरोपीय बाजार: बेल्जियम, इटली, फ्रांस में निर्यात चैनल सुदृढ़ करें।

3. बांग्लादेश जैसे पड़ोसी बाज़ार : को-प्रोडक्शन, री‑एक्सपोर्ट, ट्रांजिट जैसे विकल्प देखें।

4. विभिन्नता बनाएँ: चीन, रूस जैसे देशों पर निर्भरता कम करें—वहीं से वस्त्र, उपभोक्ता गुड्स, रसायन आयात पर नियंत्रण।

5. MSME और क्लस्टर सपोर्ट: जैसे कि भारत-यूके FTA का लाभ MSME क्लस्टर (जैसे तिरुपुर, सूरत आदि) में व्यापक रूप से इस्तेमाल हो।

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**निष्कर्ष:

इन डिफिसिट वाले देशों की तुलना में, ऐसे देशों पर फोकस करना ज्यादा व्यवहार्य होगा जहाँ भारत का निर्यात बढ़ने की बेहतर संभावना है और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ भी है।

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