दिवाली 2025: पुष्य नक्षत्र, धनतेरस, रूपचोदस और शुभ मुहूर्त — एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
2025 पुष्य नक्षत्र, धनतेरस, दीपावली, रूपचोदस और शुभ मुहूर्तों की जानकारी
रातें उजाले की, मनोकामनाएँ पौरुष की दिवाली 2025 में आयेंगी खुशियाँ नयी
रतलाम / [The Times Of Post ] – 2025 का दिवाली-पर्व इस वर्ष विशेष महत्व लिए खास है, क्योंकि इस वर्ष दिवाली-पूर्व क्षेत्रों में पुष्य नक्षत्र का योग एवं रूपचोदस आदि शुभ तिथियाँ बन रही हैं, जो ख़ास शुभ माना जाता है।
तिथियाँ और त्यौहार
धनतेरस (धनत्रयोदशी) – 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
दीपावली / लक्ष्मी पूजन – 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
रूपचोदस दीवाली से लगभग पहले कलाएँ (रूपचतुर्दशी) का पर्व — यह तिथि स्थानीय पंचांग पर निर्भर करेगी।
पुष्य नक्षत्र: दिवाली पूर्व महाशुभ समय
इस वर्ष, दिवाली-पूर्व 14 और 15 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र का प्रभाव रहेगा, जिसे सोना‑चाँदी, गृह, वाहन एवं संपत्ति की खरीदारी हेतु अत्यंत शुभ माना जाता है।
14 अक्टूबर को दोपहर 11:54 बजे से लेकर अगले दिन 15 अक्टूबर दोपहर 11:59 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा।
इस बीच कुछ विशेष चौघड़िया (लाभ, अमृत, शुभ आदि) मुहूर्तों में भी खरीदारी करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है
शुभ मुहूर्तों की झलक
नीचे कुछ प्रमुख शुभ मुहूर्त एवं उनका कालखंड दिया गया है (देश, क्षेत्र और स्थानीय पंचांग के अनुसार समय भिन्न हो सकता है)
| दिन / अवसर | शुभ मुहूर्त काल | विशेषता / उपयोग
| ————— | ———————- | ————————– |
14 अक्टूबर (पुष्य नक्षत्र) | 11:54 पूर्वाह्न से 00:00 (रात्रि) तक | सोना‑चाँदी और अलग खरीदारी के लिए श्रेष्ठ समय|
15 अक्टूबर (पुष्य नक्षत्र) | 6:22 पूर्वाह्न से 12:00 पूर्वाह्न | दिन के पहले भाग में सुकोण एवं शुभ मुहूर्त |
धनतेरस (18 अक्टूबर) | शाम 7:16 बजे से 8:20 बजे तक (लगभग) | धन-पूजा और नई वस्तु क्रय हेतु श्रेष्ठ समय |
दीपावली (20 अक्टूबर) | शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक (लगभग) | लक्ष्मी‑पूजा एवं दीप प्रजयाग के लिए मुख्य शुभ मुहूर्त |
शुभ संकेत एवं मार्गदर्शक बातें
2025 पुष्य नक्षत्र, धनतेरस, दीपावली, रूपचोदस और शुभ मुहूर्तों की जानकारी
1. धनतेरस पर खरेदारी
पारंपरिक शास्त्रों में धनतेरस को सोना, चाँदी, बर्तन, गृह उपकरण आदि लेने का सर्वोत्तम दिन माना गया है।
2. रूपचोदस (रूपचतुर्दशी)
यह दिवाली से पूर्व 14वाँ दिन या चतुर्दशी तिथि होती है, जिसमें सुंदरी, श्रृंगार या रूप-संश्रय से जुड़े कार्य किए जाते हैं। (स्थानीय पंचांग देखें)
3. शुभ मुहूर्तों की मर्यादा
मुहूर्तों में क्रय-विक्रय, नई शुरुआत आदि कार्य किए जाने चाहिए — लेकिन दुर्भाग्य के समय, राहु-काल, गन्डमूल या विदाल समय में न करें। (स्थानीय पंचांग अनुसार)
4. स्थानीय समय का सत्यापन आवश्यक
चूंकि प्रत्येक स्थान (जैसे रतलाम) के लिए सूर्योदय, सूर्यास्त, और पंचांग भिन्न होते हैं, इसलिए स्थानीय ज्योतिष-पंचांग अवश्य देखें।
पुष्य नक्षत्र में होगा एक दिवाली पूर्व महायोग — 14-15 अक्टूबर को विशेष शुभ कालानुक्रमण”
“धनतेरस 2025: शाम 7:16 से 8:20 बजे तक मधुर पूजा एवं क्रय मुहूर्त”
“रूपचोदस की छाया में आएंगी सौंदर्य और सौभाग्य की किरणें”
इस प्रकार, इस दिवाली पर न सिर्फ दीपों की रौनक बढ़ेगी, बल्कि समय की पावनता से हर गृह एवं हृदय में अमोघ सौभाग्य का प्रवाह होगा।