श्रावण मास में कांवड़ क्यों निकाली जाती है और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं
कांवड़ यात्रा एक धार्मिक परंपरा है जो मुख्य रूप से हिंदू धर्म में पाई जाती है। यह विशेष रूप से भगवान शिव की भक्ति से जुड़ी होती है। इसमें भक्त (जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है) गंगा नदी से जल भरकर उसे शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए पैदल यात्रा करते हैं। यह परंपरा खासकर श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में निभाई जाती है।
यहाँ बताया गया है कि कांवड़ क्यों निकाली जाती है और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं:
🌊 1. गंगा जल का महत्व
- हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा जल पवित्र और शुद्धिकारी होता है।
- भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था, इसलिए गंगा जल को शिव जी पर चढ़ाना बहुत पुण्य का कार्य माना जाता है।
- पवित्र स्थानों नदियों का जल भरकर भक्त कावडिये भगवान शंकर का अभिशेख करते है
🙏 2. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए
- कांवड़ यात्रा के माध्यम से भक्त भक्ति, तपस्या और संयम का पालन करते हैं।
- यह शिवभक्तों का श्रद्धा से भरा उपवास और व्रत होता है।
- कांवड़ से लाया गया जल शिवलिंग पर चढ़ाकर भगवान शिव से मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
🔥 3. पौराणिक कथा (समुद्र मंथन और रावण की कथा)
श्रावण मास में कांवड़ क्यों निकाली जाती है और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं
- समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तो भगवान शिव ने उसे पी लिया। इससे उनकी ज्वाला शांत करने के लिए देवताओं ने गंगा जल चढ़ाया।
- एक कथा के अनुसार रावण भी कैलाश पर्वत से गंगाजल लाकर भगवान शिव की पूजा करता था – यही परंपरा आज भी कांवड़ यात्रा के रूप में निभाई जाती है।
🛕 4. धर्म, साधना और तप का प्रतीक
- यह यात्रा आत्मिक शुद्धि और संयम का प्रतीक मानी जाती है।
- भक्त कई दिनों तक व्रत, ब्रह्मचर्य और सादगी से रहते हैं, किसी वाहन का प्रयोग नहीं करते और नंगे पैर चलते हैं।
📍 कहां से और कहां तक?
- आमतौर पर भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, या गौमुख जैसे स्थानों से गंगा जल भरते हैं।
- फिर वे उसे लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिर या प्रसिद्ध शिवधाम जैसे बाबा बैद्यनाथ (झारखंड), काशी विश्वनाथ, या नीलकंठ महादेव तक पैदल यात्रा करते हैं।
श्रावण मास में कांवड़ क्यों निकाली जाती है और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं