2025 गणेश उत्सव गणेश स्तुती नये रूप में वक्रतुण्ड महाकाय, शुभदायक गणेश
वक्रतुण्ड महाकाय, शुभदायक गणेश।
विघ्न हरो जगत से, मंगलमूर्ति गणेश॥
शांत स्वरूप सदा सुखदाता
मोदकप्रिय, मंगल विधाता।
सिंदूर लिप्त भाल विशाला
करुणा सागर, कृपाल विशाल॥
एकदंत दिन.रात सहाई,
रिद्ध सिद्धि संग तेरी सगाई।
रिद्धि.सिद्धि संग में आवे,
भक्तों के संकट तू ही बाँटे॥
नवचैतन्य दे तू जीवन में,
भक्ति भर दे हर मन में।
हे गजानन, आ आंगन हमारे,
कर दे सारे दूर दुख हमारे ।।
तेरा नाम जपे जो प्यारा,
मिले उसे सुख अपार सारा।
जय गणपति, जय मंगलकारी,
तेरी महिमा सब पर न्यारी॥
वक्रतुण्ड महाकाय, शुभ करुणा के धाम।
संकट हरो विनायक, रखो सदा हमें साथ॥
लाल लला मनमोहन, गजमुख सुन्दर रूप।
ज्ञान.विवेक प्रदायक, हर लो भव से क्लेश॥
मूषक वाहन साथ में, लड्डू जिसका भोग।
रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता, दूर करो सब क्लेश॥
पहला पूजन तेरा, तु ही सारे काज संवारे।
बिन तुम्हारे कृपा के, पुरण न हो काई काज ॥
जय श्री गणपति दयालु, मंगल मूर्ति महान।
शीश धरू चरणों में तेरे, पाऊँ सच्चा ज्ञान॥
तेरी पुजा से हो जाउ भव पार