मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है - पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है – पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है – पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है – पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

रतलाम। धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. आदि ठाणा – 9 काटजू नगर स्थित समता भवन में विराजित है। यहां हुए व्याख्यान में पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा. ने कहा कि यदि मोक्ष की इच्छा है तो उसके लिए जीवन में प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना तीनों का होना आवश्यक है। इन तीन में से यदि कोई एक भी रह गया तो मोक्ष नहीं मिलेगा। भूतकाल में किए गए पाप के लिए हमारे मन में खेद होना चाहिए, वर्तमान में शुद्धिकरण प्रक्रिया और भविष्य में पाप नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए। संसार के मार्ग पर चलने के बजाए यह मार्ग सरल है।

उन्होंने कहा कि भगवान कभी कठिन मार्ग नहीं बताते है। धर्म में अधिक समय व्यतीत करें , संसार के लिए अनेक जन्म खपा दिए लेकिन सुख नहीं मिला। पुण्य कर्म खत्म होते हैं तो पाप का उदय होता है और शारीरिक एवं मानसिक दुख आते हैं। जिनवाणी से स्वयं का अवलोकन होता है जिससे जीव धर्म के सम्मुख आते है। यदि हम धर्म करने वाले की उपेक्षा करते हैं और पाप करने वाले की अनुमोदन तो यह ठीक नहीं है।

संसार के सुख के लिए स्वयं के संयम और तप को बेचना गलत बात है।

संसार में सुख ढूंढ़ रहे हो उसमें सुख मिलने वाला नहीं है। क्योंकि संयम का फल ही मोक्ष होता है।

मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है – पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

रतलाम गौरव श्री सुहासमुनिजी म.सा. ने फ़रमाया कि – देश के संविधान और कानून में संशोधन हो सकता है लेकिन भगवान की वाणी में कोई संशोधन नहीं होता। प्रभु की वाणी भूत, भविष्य और वर्तमान में एक जैसी ही रहती है। इतने बड़े लोक में मनुष्य का भव मिलना सौभाग्य की बात है। मनुष्य जन्म मिलना दुर्लभ है। इसीलिए भगवान कहते हैं बिना समय व्यर्थ किए धर्म आराधना करते रहो। क्योंकि ऐसा भव दोबारा मिलना मुश्किल है। आराधना आज ही करो, कल कभी नहीं आता।

धर्मसभा में पुण्य पुंज साध्वी श्री पुण्यशीलाजी म.सा. व साध्वी मंडल भी विराजित थे। सभा में श्रावक-श्राविकाओ ने विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। सभा में नरेंद्र गादिया ने प्रवर्तक श्री जी से काटजू नगर में अधिक से अधिक समय विराजने की विनती की। प्रभावना का लाभ अनूप जय तलेरा परिवार ने लिया।

मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रायश्चित, अनुमोदना और क्षमापना का होना जरूरी है – पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

धर्मसभा में श्री जिनांशमुनिजी म.सा. की सांसारिक माताजी आशुका लोढ़ा थांदला सहित कई स्थानों के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओ की उपस्थिति से समता भवन का हॉल भी छोटा पड़ गया। संचालन सौरभ कोठारी ने किया। धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की उपस्थिति में काटजू नगर समता भवन में मंगलवार को भी व्याख्यान प्रातः 9:15 से 10:15 बजे तक होंगे।

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